Friday 17 February 2017

เคฒोเค• เค•เคฅा : เคœाเคฆू เค•ी เคฐเคธ्เคธी

                     भारत की लोक कथाएँ
                            
                           जादू की रस्सी

एक गांव में एक बुढ़िया अपने परिवार के साथ रहती थी | बुढ़िया के तीन बेटे थे और तीन बहुएं थीं| बुढ़िया के पास थोड़ी बहुत जमीन थी जिस में मेहनत से उस की रोजी  रोटी चलती थी| एक साल सूखे के कारण फसल नहीं हुई | बुढ़िया ने सोचा लड़कों के साथ शहर में जाकर मेहनत मजदूरी कर के रोटी का जुगाड़ किया जाए | बुढ़िया  अपने परिवार को साथ लेकर शहर की तरफ चल दी | दिन में जब धूप तेज हो गई तो बुढ़िया ने सोचा कुछ देर के लिए किसी पेड़ के नीचे बैठा जाए| वे एक घनी छाया वाले बरगद के पेड़ के नीचे बैठ गए | बुढ़िया ने सोचा कि खाली बैठने से भला कोई काम कर लिया जाए| उसने अपने एक बेटे से कहा कि तुम जाकर जूट ले आओ, दूसरे बेटे से कहा तुम कहीं से सब्जी ले आओ, तीसरे बेटे से कहा तुम  कहीं से खाने का बाकी सामान ले आओ| बुढ़िया ने अपनी बहुओं को भी काम पर लगा  दिया| एक को कहा तुम पानी ले आओ , दूसरी से कहा तुम लकड़ी ले आओ, तीसरी से कहा तुम आटा गूंध लो | सब अपने अपने काम पर लग गए| जूट  आने पर बुढ़िया रस्सी बनाने में लग गया| जिस   पेड़ के नीचे वे बैठे थे उस पेड़ में एक दानव  रहता था| दानव यह सब कुछ देख रहाथा| उसे रस्सी के बारे में कुछ समझ नहीं आया | वह पेड़ से नीचे उतरा और बुढ़िया से पूछने लगा आप इस रस्सी से क्या करोगे? बुढ़िया कुछ नहीं बोली अपना काम करती रही| दानव ने फिर बुढ़िया से पूछा :आप यह रस्सी क्यूँ बना रही हैं| बुढ़िया ने कहा तुम्हें बांधने के लिए| यह सुन कर दानव डर गया और बोला आप को जो कुछ भी चाहिए मैं देने को तैयार  हूँ| आप मुझे छोड़ दीजिए| यह सुन कर बुढ़िया ने कहा मुझे अभी एक  बक्सा सोने का भरा हुआ देदो तो में तुम्हें छोड़ दूंगी| दानव उसी समय एक बक्सा सोने से भरा हुआ ले आया और बुढ़िया से बोला  ये लो सोने से भरा बक्सा और यहाँ से चले जाओ| बुढ़िया ने सोने का बक्सा लिया और गांव की तरफ चल दि | बुढ़िया के दिन  अच्छे कटने  लग गए| बुढ़िया के ठाट बाट देख कर उसकी पड़ोसी ने इसके बारे में जानना चाहा तो बुढ़िया ने सारा किस्सा पड़ोसी बुढ़िया को बता दिया| पड़ोसी बुढ़िया लालच में आ गई| उस ने भी यह तरकीब अपनाने की सोची| वह अपने सारे परिवार के साथ चल दिया| उसी पेड़ के नीचे वह भी जा बैठी जिस पेड़ में दानव रहता था| पड़ोसी बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा कि तुम कहीं से जूट ले आओ,दूसरे बेटे से कहा तुम कहीं से सब्जी ले आओ, तीसरे बेटे से कहा तुम खाने का बाकी सामान ले आओ|  फिर उसने अपनी बहुओं को भी कहा कि तुम पानी ले आओ,तुम लकड़ी ले आओ और तुम आटा गूंध लो| पर किसी ने भी पड़ोसी बुढ़िया की नहीं सुनी सब अपने में ही मस्त थे| आखिर में बुढ़िया खुद ही सारा काम करके रस्सी बनाने  में लग गई| दानव यह सब कुछ  देख रहा था| कुछ देर में दानव बुढ़िया के पास आया और बोला- तुम यह रस्सी किस लिए बना रही हो| बुढ़िया ने सोचा दानव डर गया है| बुढ़िया हँसते हुए बोली तुम डर  गए हो! यह रस्सी में तुम्हें बांधने के लिए ही बना रही हूँ| इसपर दानव जोर से हंसा और बोला -तुम्हारा बंधन इतना मजबूत नहीं है | पहले अपने परिवार को बांध लो फिर किसी  को बांधना| यह कह कर दानव पेड़ में चला गया| लालची बुढ़िया अपना सा मुंह ले कर गांव को लौट गई|

सीख : - इंसान को अपना परिवार स्नेह के बंधन में बाँध कर रखना चाहिये ।

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