Saturday 4 February 2017

เคชंเคšเคคंเคค्เคฐ : เค•िเคธाเคจ เค”เคฐ เคธाเคฐเคธ

                             पंचतंत्र

                     किसान और सारस

     किसी गांव में एक किसान रहता था| किसान बहुत मेहनती था| उसके खेतों में बहुत अच्छी फसल हुआ करती थी| किसान के खेत के पास ही एक जलाशय भी था| जिसके किनारे बहुत सारे बगुले भी रहा करते थे| बगुले किसान की फसल को काफी नुकसान पहुँचाया करते थे| एक दिन किसान ने बगुलों को पकड़ने के लिए अपने खेत में जाल बिछा दिया| कुछ समाय बाद आकर देखा तो, बहुत सारे बगुले जाल में फंसे हुए थे| इस जाल में एक सारस भी फंसा हुआ था| सारस ने किसान से कहा- किसान भाई में बगुला नहीं हूँ मैं ने तुम्हारी फसल बर्बाद नहीं की है| मुझे छोड़ दो| तुम विचार करके देखो कि मेरी कोई गलती नहीं है| जितने भी पक्षी है, मैं उन सब कि अपेक्षा अधिक धर्म-पारायण हूँ| मैं कभी किसी का नुकसान नहीं करता| मैं अपने बृद्ध माता-पिता का अतीव सम्मान करता हूँ और विभिन्न स्थानों में जाकर प्राण-पण से उनका पालन-पोषण करता हूँ|
                    इस पर किसान बोला- सुनो सारस, तुमने जो बातें कहीं, वे सब ठीक हैं,उनपर मुझे जरा भी संदेह नहीं है| परन्तु तुम फसल बर्बाद करने वालों के साथ पकडे गए हो, इसलिए तुम्हें भी उन्हीं लोगों के साथ सजा भोगनी होगी|

सीख :-  कुसंगत का फल बुरा होता है ।

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