Monday 6 February 2017

เคชंเคšเคคंเคค्เคฐ : เคนाเคฅी เค”เคฐ เคฒोเคฎเฅœी

                       पंचतंत्र

               हाथी और लोमड़ी

                किसी जंगल में एक हाथी रहता था| हाथी बहुत बड़ा और ताकतवर था| कोई भी जंगली जानवर उस हाथी के नजदीक नहीं फटकता था| सब जानवर उस से डरते थे| वैसे हाथी किसी जानवर को कुछ भी नहीं कहता था| अकेला ही जंगल में घूमता रहता था| अपनी लम्बी सूंड से ऊँचे ऊँचे पेड़ों की टहनियों को तोड़ कर खाया करता था और जंगल के बीच वाले तालाब से पानी पीकर वहीँ पड़ा रहता था| इसी जंगल में एक लोमड़ियों का झुण्ड भी रहता था| लोमड़ियों का झुण्ड भी हाथी को देख कर परेशान रहता था| खुलकर शिकार नहीं कर सकता था| एक बार लोमड़ियों ने एक सभा बुलाई जिसमें उन्हों ने हाथी को ठिकाने लगाने की सोची| उन्हों ने सोचा की अगर हाथी को मारगिराया  तो काफी दिनों के लिए खाना भी हो जाएगा  और हाथी से छुटकारा भी मिल जाएगा| पर किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि हाथी का मुकाबला कर सके| आखिर में एक लोमड़ी ने कहा हाथी को तो में मार सकती हूँ| अगर सभी मेरा साथ दें तो| सभी ने हामी भरदी| लोमड़ी ने कहा तुम देखते जाओ  में हाथी से कैसे निबटती हूँ|                                                                                                                                

                       अगले दिन लोमड़ी सुबह सुबह हाथी के घर चली गयी और हाथी को प्रणाम किया| हाथी ने लोमड़ी से पूछा तुम कौन हो कहाँ से आई हो, तुम्हें पहले कभी देखा नहीं है| लोमड़ी ने कहा हमारे जंगल में कोई भी राजा नहीं है| आप बहुत बड़े भी हैं और ताकतवर भी हैं, इसलिए सभी जंगल के जानवरों ने फैसला किया है कि आपको ही जंगल का राजा बनाया जाय| राजा बनाने की  बात सुनकर हाथी बहुत खुश हो गया| हाथी को खुश हुआ देखकर लोमड़ी ने कहा राजा बनाने का महूर्त कल सुबह का ही निकला है इस लिए हमें आज ही वहां जाना होगा ताकि सुबह समय पर राज्याभिषेक किया जा सके| इतना सुनते ही हाथी चलने को तयार हो गया| आगे आगे लोमड़ी चलने लगी और पीछे पीछे हाथी चलने लगा| लोमड़ी हाथी को एक ऐसे रास्ते से ले गयी जहाँ दलदल से हो कर जाना पड़ता था| लोमड़ी हलकी होने से दलदल के ऊपर से आराम से निकल गयी लेकिन हाथी ज्यों ही दलदल के ऊपर से जाने लगा उसके पैर दलदल में धंस गए| हाथी ने लोमड़ी को आवाज देकर रुकने को कहा लोमड़ी ने मुड़ कर देखा तो हाथी दलदल में फसा हुआ था और जितनी कोशिश बाहर निकलने की  करता था उतना ही दलदल में फसता जा रहा था| लोमड़ी ने देखा कि उसकी चाल काम कर गयी है| लोमड़ी ख़ुशी ख़ुशी  अपने साथियों को बुलाने को चली गई| वापस आने पर देखा कि हाथी दलदल में दब चुका है यह देख कर लोमड़ी का दल बहुत खुश हुआ और हाथी को खाने के लिए टूट पड़ा| इस तरह हाथी ने बहकावे में आकर अपनी जान  गवा दी|

सीख : - बिना सोचे समझे किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए| 

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