Tuesday 29 October 2019

เค•เคฅा เคธाเค—เคฐ : เคญाเคˆเคฆूเคœ เค•ी เค•เคฅा

Story Time ๐Ÿ˜Š

                         เคญाเคˆเคฆूเคœ เค•ी เค•เคฅा
                         (เคชौเคฐाเคฃिเค• เค•เคฅाเคँ)

เคญเค—เคตाเคจ เคธूเคฐ्เคฏ เคจाเคฐाเคฏเคฃ เค•ी เคชเคค्เคจी เค•ा เคจाเคฎ เค›ाเคฏा เคฅा। เค‰เคจเค•ी เค•ोเค– เคธे เคฏเคฎเคฐाเคœ เคคเคฅा เคฏเคฎुเคจा เค•ा เคœเคจ्เคฎ เคนुเค† เคฅा। เคฏเคฎुเคจा เคฏเคฎเคฐाเคœ เคธे เคฌเคก़ा เคธ्เคจेเคน เค•เคฐเคคी เคฅी। เคตเคน เค‰เคธเคธे เคฌเคฐाเคฌเคฐ เคจिเคตेเคฆเคจ เค•เคฐเคคी เค•ि เค‡เคท्เคŸ เคฎिเคค्เคฐों เคธเคนिเคค เค‰เคธเค•े เค˜เคฐ เค†เค•เคฐ เคญोเคœเคจ เค•เคฐो। เค…เคชเคจे เค•ाเคฐ्เคฏ เคฎें เคต्เคฏเคธ्เคค เคฏเคฎเคฐाเคœ เคฌाเคค เค•ो เคŸाเคฒเคคा เคฐเคนा। เค•ाเคฐ्เคคिเค• เคถुเค•्เคฒा เค•ा เคฆिเคจ เค†เคฏा। เคฏเคฎुเคจा เคจे เค‰เคธ เคฆिเคจ เคซिเคฐ เคฏเคฎเคฐाเคœ เค•ो เคญोเคœเคจ เค•े เคฒिเค เคจिเคฎंเคค्เคฐเคฃ เคฆेเค•เคฐ, เค‰เคธे เค…เคชเคจे เค˜เคฐ เค†เคจे เค•े เคฒिเค เคตเคšเคจเคฌเคฆ्เคง เค•เคฐ เคฒिเคฏा।

เคฏเคฎเคฐाเคœ เคจे เคธोเคšा เค•ि เคฎैं เคคो เคช्เคฐाเคฃों เค•ो เคนเคฐเคจे เคตाเคฒा เคนूं। เคฎुเคे เค•ोเคˆ เคญी เค…เคชเคจे เค˜เคฐ เคจเคนीं เคฌुเคฒाเคจा เคšाเคนเคคा। เคฌเคนเคจ เคœिเคธ เคธเคฆ्เคญाเคตเคจा เคธे เคฎुเคे เคฌुเคฒा เคฐเคนी เคนै, เค‰เคธเค•ा เคชाเคฒเคจ เค•เคฐเคจा เคฎेเคฐा เคงเคฐ्เคฎ เคนै। เคฌเคนเคจ เค•े เค˜เคฐ เค†เคคे เคธเคฎเคฏ เคฏเคฎเคฐाเคœ เคจे เคจเคฐเค• เคจिเคตाเคธ เค•เคฐเคจे เคตाเคฒे เคœीเคตों เค•ो เคฎुเค•्เคค เค•เคฐ เคฆिเคฏा। เคฏเคฎเคฐाเคœ เค•ो เค…เคชเคจे เค˜เคฐ เค†เคฏा เคฆेเค–เค•เคฐ เคฏเคฎुเคจा เค•ी เค–ुเคถी เค•ा เค िเค•ाเคจा เคจเคนीं เคฐเคนा। เค‰เคธเคจे เคธ्เคจाเคจ เค•เคฐ เคชूเคœเคจ เค•เคฐเค•े เคต्เคฏंเคœเคจ เคชเคฐोเคธเค•เคฐ เคญोเคœเคจ เค•เคฐाเคฏा। เคฏเคฎुเคจा เคฆ्เคตाเคฐा เค•िเค เค—เค เค†เคคिเคฅ्เคฏ เคธे เคฏเคฎเคฐाเคœ เคจे เคช्เคฐเคธเคจ्เคจ เคนोเค•เคฐ เคฌเคนเคจ เค•ो เคตเคฐ เคฎांเค—เคจे เค•ा เค†เคฆेเคถ เคฆिเคฏा।

เคฏเคฎुเคจा เคจे เค•เคนा เค•ि เคญเคฆ्เคฐ! เค†เคช เคช्เคฐเคคि เคตเคฐ्เคท เค‡เคธी เคฆिเคจ เคฎेเคฐे เค˜เคฐ เค†เคฏा เค•เคฐो। เคฎेเคฐी เคคเคฐเคน เคœो เคฌเคนเคจ เค‡เคธ เคฆिเคจ เค…เคชเคจे เคญाเคˆ เค•ो เค†เคฆเคฐ เคธเคค्เค•ाเคฐ เค•เคฐเค•े เคŸीเค•ा เค•เคฐें, เค‰เคธे เคคुเคฎ्เคนाเคฐा เคญเคฏ เคจ เคฐเคนे। เคฏเคฎเคฐाเคœ เคจे เคคเคฅाเคธ्เคคु เค•เคนเค•เคฐ เคฏเคฎुเคจा เค•ो เค…เคฎूเคฒ्เคฏ เคตเคธ्เคค्เคฐाเคญूเคทเคฃ เคฆेเค•เคฐ เคฏเคฎเคฒोเค• เค•ी เคฐाเคน เค•ी। เค‡เคธी เคฆिเคจ เคธे เคชเคฐ्เคต เค•ी เคชเคฐเคฎ्เคชเคฐा เคฌเคจी। เคเคธी เคฎाเคจ्เคฏเคคा เคนै เค•ि เคœो เค†เคคिเคฅ्เคฏ เคธ्เคตीเค•ाเคฐ เค•เคฐเคคे เคนैं, เค‰เคจ्เคนें เคฏเคฎ เค•ा เคญเคฏ เคจเคนीं เคฐเคนเคคा। เค‡เคธीเคฒिเค เคญैเคฏाเคฆूเคœ เค•ो เคฏเคฎเคฐाเคœ เคคเคฅा เคฏเคฎुเคจा เค•ा เคชूเคœเคจ เค•िเคฏा เคœाเคคा เคนै।

Friday 11 October 2019

เค–เคฒीเคฒ เคœिเคฌ्เคฐाเคจ : เคชाเค—เคฒ เค†เคฆเคฎी

  Story Time ๐Ÿ˜Š     

                        เคชाเค—เคฒ เค†เคฆเคฎी
                       (เค–เคฒीเคฒ เคœिเคฌ्เคฐाเคจ)

เค†เคช เคชूเค›เคคे เคนैं เค•ि เคฎैं เคชाเค—เคฒ เค•ैเคธे เคนुเค†? เคนुเค† เคฏों เค•ि :

เคฌเคนुเคค เคธเคฎเคฏ เคชเคนเคฒे, เคฆेเคตเคคा เคญी เคœเคฌ เคชैเคฆा เคจเคนीं เคนुเค เคฅे, เคเค• เคธुเคฌเคน เคฎैं เค—เคนเคฐी เคจींเคฆ เคธे เคœाเค— เค‰เค ा। เคฎैंเคจे เคฆेเค–ा เค•ि เคฎेเคฐे เคธाเคฐे เคฎुเค–ौเคŸे เคšोเคฐी เคนो เค—เค เคนैं। เคธाเคค เคฎुเค–ौเคŸे เคœिเคจ्เคนें เคฎैं เคธाเคค เคœเคจเคฎों เคธे เคชเคนเคจเคคा เค† เคฐเคนा เคฅा। เคฌिเคจा เค•िเคธी เคฎुเค–ौเคŸे เค•े เคœोเคฐों เคธे เคšिเคฒ्เคฒाเคคा เคนुเค† เคฎैं เคญीเคก़เคญเคฐी เค—เคฒिเคฏों เคฎें เคฆौเคก़เคจे เคฒเค—ा - "เคšोเคฐ!… เคšोเคฐ… !!"

เคฒोเค— เคฎुเค เคชเคฐ เคนँเคธเคจे เคฒเค—े। เค•ुเค› เคฎुเคเคธे เคกเคฐเค•เคฐ เค…เคชเคจे เค˜เคฐों เคฎें เค˜ुเคธ เค—เค।

เคœเคฌ เคฎैं เคฌाเคœाเคฐ เคฎें เคชเคนुँเคšा เคคो เค…เคชเคจे เค˜เคฐ เค•ी เค›เคค เคชเคฐ เค–เคก़ा เคเค• เคจौเคœเคตाเคจ เคšिเคฒ्เคฒाเคฏा - "เคฆेเค–ो… เคฝ… เคตเคน เคชाเค—เคฒ เคนै।"

เค‰เคธเค•ी เคเคฒเค• เคชाเคจे เค•े เคฒिเค เคฎैंเคจे เคŠเคชเคฐ เค•ी เค“เคฐ เคฆेเค–ा। เคธूเคฐเคœ เค•ी เค•िเคฐเคฃों เคจे เค‰เคธ เคฆिเคจ เคชเคนเคฒी เคฌाเคฐ เคฎुเค–ौเคŸाเคนीเคจ เคฎेเคฐे เคจंเค—े เคšेเคนเคฐे เค•ो เคšूเคฎा। เคฎेเคฐी เค†เคค्เคฎा เคธूเคฐเคœ เค•े เคช्เคฐเคคि เคช्เคฐेเคฎ เคธे เคฆเคฎเค• เค‰เค ी। เคฎुเค–ौเคŸों เค•ा เค–्เคฏाเคฒ เคฎेเคฐे เคœेเคนเคจ เคธे เคœाเคคा เคฐเคนा; เค”เคฐ เคฎैं เคœैเคธे เคตिเค•्เคทिเคช्เคค-เคธा เคšिเคฒ्เคฒाเคฏा - "เคธुเค–ी เคฐเคนो, เคธुเค–ी เคฐเคนो เคฎेเคฐे เคฎुเค–ौเคŸे เคšुเคฐाเคจे เคตाเคฒो!"

เค‡เคธ เคคเคฐเคน เคฎैं เคชเค—เคฒ เคนो เค—เคฏा।

เค”เคฐ เค…เคชเคจे เค‡เคธ เคชाเค—เคฒเคชเคจ เคฎें เคนी เคฎैंเคจे เค†เคœ़ाเคฆी เค”เคฐ เคธुเคฐเค•्เคทा เคชाเคˆ เคนैं। เค…เค•ेเคฒा เคฐเคน เคชाเคจे เค•ी เค†เคœ़ाเคฆी เค”เคฐ เคชเคนเคšाเคจ เคฌเคจा เคฒेเคจे เค•े เค…เคนเคธाเคธ เคธे เคฎुเค•्เคคि। เคตे, เคœो เคนเคฎें เคชเคนเคšाเคจเคคे เคนैं, เค•ुเค›-เคจ-เค•ुเค› เค—ुเคฒाเคฎी เคนเคฎเคฎें เคฌो เคฆेเคคे เคนैं।

เคฒेเค•िเคจ เคฎुเค•्เคคि เค•े เค‡เคธ เค…เคนเคธाเคธ เคชเคฐ เคฎुเคे เค˜เคฎเคฃ्เคก เคจเคนीं เค•เคฐเคจा เคšाเคนिเค। เคœेเคฒ เคฎें เคชเคก़ा เคเค• เคšोเคฐ เคญी เคฌाเคนเคฐ เคฐเคนเคจे เคตाเคฒे เคฆूเคธเคฐे เคšोเคฐ เคธे เคธुเคฐเค•्เคทिเคค เคฐเคนเคคा เคนै।

Thursday 3 October 2019

เค…เคฐ्เคœुเคจ เค‰เคฒूเคชी เคช्เคฐเคธंเค—

Story Time 😊

             अर्जुन उलूपी प्रसंग

अर्जुन की चौथी पत्नी का नाम जलपरी नागकन्या उलूपी था। उन्हीं ने अर्जुन को जल में हानिरहित रहने का वरदान दिया था। महाभारत युद्ध में अपने गुरु भीष्म पितामह को मारने के बाद ब्रह्मा-पुत्र से शापित होने के बाद उलूपी ने ही अर्जुन को शापमुक्त भी किया था और अपने सौतेले पुत्र बभ्रुवाहन के हाथों मारे जाने पर उलूपी ने ही अर्जुन को पुनर्जीवित भी कर दिया था। विष्णु पुराण के अनुसार अर्जुन से उलूपी ने इरावन नामक पुत्र को जन्म दिया। इसी इरावन को भारत के सभी हिजड़े अपना देवता मानते हैं। उलूपी अर्जुन के सदेह स्वर्गारोहण के समय तक उनके साथ थी।


माना जाता है कि द्रौपदी, जो पांचों पांडवों की पत्नी थीं, 1-1 साल के समय-अंतराल के लिए हर पांडव के साथ रहती थी। उस समय किसी दूसरे पांडव को द्रौपदी के आवास में घुसने की अनुमति नहीं थी। इस नियम को तोड़ने वाले को 1 साल तक देश से बाहर रहने का दंड था।


अर्जुन और द्रौपदी की 1 वर्ष की अवधि अभी-अभी समाप्त ही हुई थी और द्रौपदी-युधिष्ठिर के साथ का 1 वर्ष का समय शुरू हुआ था। अर्जुन भूलवश द्रौपदी के आवास पर ही अपना तीर-धनुष भूल आए। पर किसी दुष्ट से ब्राह्मण के पशुओं की रक्षा के लिए लिए उन्हें उसी समय इसकी जरूरत पड़ी। अत: क्षत्रिय धर्म का पालन करने के लिए तीर-धनुष लेने के लिए नियम तोड़ते हुए वे द्रौपदी के निवास में घुस गए। बाद में इसके दंडस्वरूप वे 1 साल के लिए राज्य से बाहर चले गए। इसी दौरान अर्जुन की मुलाकात उलूपी से हुई और वे अर्जुन पर मोहित हो गईं। दोनों ने विवाह किया और 1 वर्ष तक साथ रहने के बाद अर्जुन पुन: अपने राज्य लौट आए।

เค…เคฐ्เคœुเคจ เค•ा เคชुเคจเคฐ्เคœीเคตเคจ

Story Time 😊

                *अर्जुन का पुनर्जीवन*

महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद एक दिन महर्षि वेदव्यास और श्रीकृष्ण के कहने पर पांडवों ने अश्वमेध यज्ञ करने का विचार किया। पांडवों ने शुभ मुहूर्त देखकर यज्ञ का शुभारंभ किया और अर्जुन को रक्षक बनाकर घोड़ा छोड़ दिया। वह घोड़ा जहां भी जाता, अर्जुन उसके पीछे जाते। अनेक राजाओं ने पांडवों की अधीनता स्वीकार कर ली वहीं कुछ ने मैत्रीपूर्ण संबंधों के आधार पर पांडवों को कर देने की बात मान ली।


वह घोड़ा घूमते-घूमते मणिपुर जा पहुंचा। मणिपुर नरेश बभ्रुवाहन ने जब सुना कि मेरे पिता आए हैं, तब वह गणमान्य नागरिकों के साथ बहुत-सा धन साथ में लेकर बड़ी विनय के साथ उनके दर्शन के लिए नगर सीमा पर पहुंचा। मणिपुर नरेश को इस प्रकार आया देख अर्जुन ने धर्म का आश्रय लेकर उसका आदर नहीं किया। उस समय अर्जुन कुछ कुपित होकर बोले, बेटा! तेरा यह ढंग ठीक नहीं है। जान पड़ता है, तू क्षत्रिय धर्म से बहिष्‍कृत हो गया है पुत्र। मैं महाराज युधिष्‍ठिर के यज्ञ संबंधी अश्व की रक्षा करता हुआ तेरे राज्‍य के भीतर आया हूं। फिर भी तू मुझसे युद्ध क्‍यों नहीं करता? क्षत्रियों का धर्म है युद्ध करना।

अर्जुन ने क्रोधित होकर कहा, तुझ दुर्बुद्धि को धिक्‍कार है। तू निश्‍चय ही क्षत्रिय धर्म से भ्रष्‍ट हो गया है, तभी तो एक स्‍त्री की भांति तू यहां युद्ध के लिए आए हुए मुझको शांतिपूर्वक साथ लेने के लिए चेष्‍टा कर रहा है। इस तरह अर्जुन ने अपने पुत्र को बहुत खरी-खोटी सुनाई।


उस समय अर्जुन की पत्नी नागकन्‍या उलूपी भी उस वार्तालाप को सुन रही थीं। तब मनोहर अंगों वाली नागकन्‍या उलूपी धर्म निपुण बभ्रुवाहन के पास आकर यह धर्मसम्‍मत बात बोली- बेटा तुम्‍हें विदित होना चाहिए कि मैं तुम्‍हारी विमाता नागकन्‍या उलूपी हूं। तुम मेरी आज्ञा का पालन करो। इससे तुम्‍हें महान धर्म की प्राप्‍ति होगी। तुम्‍हारे पिता कुरुकुल के श्रेष्‍ठ वीर और युद्ध के मद से उन्‍मत्त रहने वाले हैं। अत: इनके साथ अवश्‍य युद्ध करो। ऐसा करने से ये तुम पर प्रसन्‍न होंगे। इसमें संशय नहीं है। यह सुनकर बभ्रुवाहन ने अपने पिता अर्जुन से युद्ध करने का निश्‍चय किया। तब अर्जुन और बभ्रुवाहन के बीच घोर युद्ध हुआ।


कहते हैं कि इस युद्ध में युद्ध में बभ्रुवाहन मूर्छित हो गए थे और अर्जुन मारे गए थे। अर्जुन के मारे जाने का समाचार सुनकर युद्ध भूमि में अर्जुन की पत्नी चित्रांगदा पहुंचकर विलाप करने लगी। वह उलूपी से कहने लगी कि तुम्हारी ही आज्ञा से मेरे पुत्र बभ्रुवाहन ने अपने पिता से युद्ध किया। चित्रांगदा ने रोते हुए उलूपी से कहा कि तुम धर्म की जानकार हो बहन। मैं तुमसे अर्जुन के प्राणों की भीख मांगती हूं। चित्रांगदा ने उलूपी को कठोर और विनम्र दोनों ही तरह के वचन कहे। अंत में उसने कहा कि तुम्हीं ने बेरे बेटों को लड़ाकर उनकी जान ली है। मेरा बेटा भले ही मारा जाए लेकिन तुम अर्जुन को जीवित करो अन्यथा मैं भी अपने प्राण त्याग दूंगी।


तभी मूर्छित बभ्रुवाहन को होश आ गया और उसने देखा कि उसकी मां अर्जुन के पास बैठकर विलाप कर रही है और विमाता उलूपी भी पास ही खड़ी है। बभ्रुवाहन अपने पिता अर्जुन के समक्ष बैठकर विलाप करने लगा और प्रण लिया कि अब मैं भी इस रणभूमि पर आमरण अनशन कर अपनी देह त्याग दूंगा।


पुत्र और मां के विलाप को देख-सुनकर उलूपी का हृदय भी पसीज गया और उसने संजीवन मणिका का स्मरण किया। नागों के जीवन की आधारभूत मणि उसके स्मरण करते ही वहां आ गई। तब उन्होंने बभ्रुवाहन से कहा कि बेटा उठो, शोक मत करो। अर्जुन तुम्हारे द्वारा परास्त नहीं हुए हैं। ये मनुष्यमात्र के लिए अजेय हैं। लो, यह दिव्य मणि अपने स्पर्श से सदा मरे हुए सर्पों को जीवित किया करती है। इसे अपने पिता की छाती पर रख दो। इसका स्पर्श होते ही वे जीवित हो जाएंगे। बभ्रुवाहन ने ऐसा ही किया। अर्जुन देर तक सोने के बाद जागे हुए मनुष्य की भांति जीवित हो उठे। फिर उसने अश्वमेध का घोड़ा अर्जुन को लौटा दिया और अपनी माताओं चित्रांगदा और उलूपी के साथ युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ में शामिल हुए।