पंचतंत्र
बुद्धिमान मेमना
बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल के किनारे घास के मैदान में एक बकरियों का झुण्ड रहा करता था| इस बकरियों के झुण्ड की रखवाली के लिए दो गद्दी कुत्ते हुआ करते थे| बकरियां कभी भी जंगल के अन्दर हरी घास खाने नहीं जाती थी| जंगल के बीच में कई शिकारी जानवर रहते थे| जिनसे बकरियों को हमेशा खतरा बना रहता था| बकरियां मैदान के नजदीक ही चर कर अपना पेट भर लेती थी| बकरियां अपने मेमनों को भी जंगल के बीच में जाने से रोकती रहती थी और समझाती रहती थी कि अगर वे जंगल में जाएँगे तो उनकी जान को खतरा हो सकता है| एक दिन एक छोटा सा मेमना हरी और मीठी घास खाते खाते जंगल के बीच में चला गया| जैसे ही वह जंगल में गया एक भेड़िए ने उसे देख लिया| भेड़िए ने अपने मन में सोचा "आज के भोजन का इंतजाम हो गया है| इतना सोचते ही दुष्ट भेडिया मेमने के सामने कूद पड़ा| उसने अपने बड़े बड़े नुकीले दांत भींच कर बोला तुम्हें मालूम है तुम्हे इस तरह यहाँ घूमना नहीं चाहिए| भेड़िए को देख कर मेमना डर गया और भय के मारे कांपने लगा| परन्तु उसने धैर्य के साथ कहा मुझे मालूम है इस तरह घूम कर में बड़ी शरारत कर रहा हूँ| यह सुन कर भेडिया उस पर जोर से हंस पड़ा| और जोर से बोला अब तुम शरारती बने हो तुम्हें दंड मिलना चाहिए| मैं तुम्हें दंड दूंगा| तुम्हे खाकर अपना भोजन पूरा करूँगा| मेमना बड़ा भयभीत हुआ| उसने अपनी रक्षा करना जरुरी समझा| इस लिए उसने एक उपाय सोचा| उसने भेड़िए से प्रार्थना की कि क्या आप मेरी अंतिम इच्छा पूरी नहीं करोगे| भेड़िए ने कहा हां हां इस से मुझे कोई हानि नहीं होगी| मेमने ने कहा हे दयालु भेडिये क्या आप मेरे लिए एक गाना नहीं गाओगे| इस बात से भेडिया बहुत खुश हुआ और जोर जोर से गाने लगा| गाने की आवाज कुत्तों के कानों में पड़ गई , कुत्ते समझ गए की छोटा मेमना जंगल में चला गया है| वे दौड़ते हुए जंगल में पहुँच गए| मेमने को ठीक ठाक देखते ही कुत्ते भेड़िए पर टूट पड़े| कुत्ते उसके टुकड़े टुकड़े कर देते पर भेड़िए ने बड़ी मुश्किल से भाग कर अपनी जान बचाई| मेमने ने कुत्तो से बोला मुझे बचाने के लिए धन्यवाद| वह अपनी माँ के पास दौड़ता हुआ गया और कहने लगा में आगे से इस तरह भटकता हुआ कभी नहीं जाऊंगा| हमेशा अपने बुजर्गों की बातों को मान लिया करूँगा|
सीख : हमें अपने बुजर्गों की बाते हमेशा मान लेनी चाहिए|
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