Friday 24 February 2017

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                     पंचतंत्र

            राजकुमार और सांप

राजा देवशक्ति का एक ही पुत्र था। उसके पेट में एक सर्प रहता था। इस कारण राजपुत्र एकदम दुर्बल हो गया था। अनेक वैद्यों ने उसकी चिकित्सा की, फिर भी वह स्वस्थ नहीं हुआ। निराश होकर राजपुत्र एक दिन घर छोड़कर चुपके से निकल पड़ा। वह भटकता हुआ किसी दूसरे राज्य में आ पहुँचा। वह भिक्षा माँगकर पेट भर लेता और एक मंदिर में सो जाता।

उस राज्य के राजा का नाम बलि था। उसकी दो पुत्रियाँ थीं। दोनों युवती थीं। वे प्रतिदिन सुबह-सुबह अपने पिता को प्रणाम करतीं। प्रणाम करने के बाद उनमें से एक कहती, ‘महाराज की जय हो, जिससे हम सब सुखी रहें।’ दूसरी कहती, ‘महाराज, आपको आपके कर्मों का फल अवश्य मिले।’

राजा बलि दूसरी बेटी के कड़वी बातों को सुनकर क्रोध से भर जाता था। एक दिन उसने मंत्रियों को आदेश दिया, ‘कड़वे वचन बोलनेवाली मेरी इस पुत्री का किसी परदेसी से ब्याह कर दो, जिससे यह अपने कर्म का फल भुगते।’

मंत्रियों ने मंदिर में रहने वाले उसी भिखारी राजकुमार के साथ उस राजकुमारी का विवाह कर दिया। राजकुमारी अपने उस पति को प्राप्त करके तनिक भी दुखी नहीं हुई। वह प्रसन्नता के साथ पति की सेवा करने लगी। कुछ दिन बाद वह पति को साथ लेकर दूसरे राज्य में चली गई। 

वहाँ उसने एक सरोवर के किनारे पर बसेरा बना लिया। एक दिन राजकुमारी अपने पति को घर की रखवाली के लिए छोड़कर भोजन का सामान लाने के लिए स्वयं नगर में चली गई। राजकुमार जमीन पर सिर टिकाकर सो गया। वह सो रहा था कि उसके पेट में रहने वाला सर्प उसके मुख से बाहर निकलकर हवा खाने लगा। 

इसी बीच पास ही की बाँबी में रहनेवाला साँप भी बिल से बाहर निकल आया। उसने पेट में रहने वाले साँप को फटकारते हुए कहा, ‘तू बहुत दुष्ट है, जो इस सुंदर राजकुमार को इतने दिनों से पीड़ित कर रहा है।’ 

पेट में रहने वाले साँप ने कहा, ‘और तू कौन-सा बहुत भला है! अपनी तो देख, तूने अपनी बाँबी में सोने से भरे दो-दो कलश छिपा रखे हैं।’ बाँबीवाले सर्प ने कहा, ‘क्या कोई इस उपाय को नहीं जानता कि राजकुमार को पुरानी राई की काँजी पिलाई जाए तो तू तुरंत मर जाएगा?’ 

पेट में रहनेवाले साँप ने भी उसका भेद खोल दिया, ‘तुम्हारी बाँबी में खौलता तेल या पानी डालकर तुम्हारा वध किया जा सकता है!’

उसी दौरान राजकुमारी लौट आई थी। वह वहीं छिपकर दोनों साँपों की बातें सुन रही थी। जब सांप अपने स्थान पर लौट गए तब राजकुमारी ने दोनों उपायों किये । पहले राजकुमार को पुरानी राई की काँजी पिलाई जिससे राजकुमार के अंदर बैठा सांप मर गया और पेट से निकल गया ।

उसके बाद  बाँबी में खौलता पानी डाल दिया जिससे बाँबी में रहने वाला सांप मर गया । इस तरह राजकुमारी ने उन दोनों साँपों का नाश कर दिया।

पेटवाले साँप के मरते ही राजकुमार स्वस्थ हो गया। फिर बाँबी में गड़े धन को निकालकर वह अपने अपने स्वस्थ-सुंदर पति के साथ सुख से रहने लगी।

इस तरह से उसका सोया हुआ भाग्य जाग गया।

इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हर रात के बाद सुबह अवश्य होती है।

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