Friday 20 January 2017

เคฒोเค• เค•เคฅा : เคšिเฅœी เค•े เคšिเคจुเค†

               भारत की लोककथाएँ

                 " चिड़ी के चिनुआ "

  एक समय की बात है के एक ज़ालिम कौवे की एक चिड़िया के साथ दोस्ती हो गई। एक दिन दोनों दाना चुगने के लिए इक्कठे घर से निकले। काफ़ी मेहनत करने के बाद उन्हें कुछ भी खाने को नहीं मिला। बुरी नियत वाला कौवा बहुत भूखा था। उसका दिल कर रहा था के वो इस चिड़िया के मुलायम मुलायम चिनुआ को खा जाए। जिससे उसकी भूख मिट जाएगी और उसे दाना चुगने के लिए इधर – उधर भी नहीं भटकना पड़ेगा। पर वो दोस्ती के नाम पर कलंक नहीं लगाना चाहता था।

कौवे के मन में बहुत सारी योजनाएं आ रही थी के किस तरह वो इस चिड़िया के चिनुआ को खा जाए।

अचानक कौवे ने देखा के एक घर की छत पर कुछ हरी मिर्चें सूखने के लिए पड़ी हैं। दोनों ने सोचा के अगर आज इन मिर्चों को खाकर ही अपनी भूख मिटा ली जाए।

पर उस कौवे के नजर तो पहले से ही बिगड़ी हुई थी। उसने चिड़िया से कहा क्यों ना आज मिर्च खाने का मुकाबला हो जाए। चिड़िया ने कौवे से कहा में आपका मुकाबला नहीं कर सकती हूं और कौवे ने फिर चालाकी से कहा अच्छा चलो तुम मेरे से आधी मिर्च खा लेना। चिड़ी मान गई।

कौवा अपनी गंदी योजना के मुताबिक बोला जो जीता दूसरा उसका गुलाम हो जाएगा और जीतने वाला जो भी चाहे वो गुलाम को मानना पड़ेगा।

उस भोली चिड़िया ने कौवे की बात को मान लिया। इस तरह कौवे ने चालाकी से चिड़िया को हरा दिया। कौवा बोला तुम मुझसे हार गई और अब तुम मेरी गुलाम हो। अब तुम्हे मेरा हुक्म मानना होगा। मुझे बहुत सख्त भूख लगी है इसीलिए में तुम्हारे चिनुआ खाकर आपनी भूख मिटाऊंगा।

आगे से चिड़ी भी कौवे की चालाकी समझ चुकी थी। चिड़ी बोली तुम्हारी बात मानने में मुझे कोई एतराज़ नहीं है। तुम मेरे चिनुआ खा लेना पर इससे पहले तुम्हे अपनी चोंच को धोना पड़ेगा। यह बहुत गंदी हो चुकी है। कौवा यह सुनकर बहुत खुश हुआ और उसने चिड़िया की बात को मान लिया।

जब कौवा नजदीक की नदी में अपनी चोंच को धोने गया और नदी से बोला  -

"नदी नदी तुम दो पनीला, धोऐं चोंच, खाएँ चिया के चिनुआ,  मटकाएँ चोंच☺️"

तो नदी सोच में पड़ गई और उस ने कहा तुम अपनी चोंच तभी धो सकते हो अगर तुम कहीं से कटोरा लेकर आओ में तुझे अपना पानी गंदा नहीं करने दुंगी। कौवा कटोरा लेने के लिए कुम्हार के पास गया और बोला -

"कुम्हार कुम्हार तुम दो कटोरा, भरें पनीला, धोऐं चोंच, खाएँ चिया के चिनुआ,  मटकाएँ चोंच☺️"

उसने भी उसको कटोरा देने से मना कर दिया। कुम्हार ने कौवे से कहा के उसे कटोरा एक ही शर्त पर मिलेगा अगर वो उसके लिए मिट्टी खोदकर लेकर आएगा। जब कौवा धरती से मिट्टी लेने गया और बोला-

"माटी माटी तुम दो मटीला, बने कटोरा, भरें पनीला, धोऐं चोंच, खाएँ चिया के चिनुआ,  मटकाएँ चोंच☺️"

मिट्टी भी समझ गई उसने कहा एक ही शर्त पर मिट्टी मिलेगी अगर वो मिट्टी खोदने के लिए कहीं से रम्बा लेकर आयेगा। वो उसकी गंदी चोंच से मिट्टी नहीं खोदने देगी।

इस तरह कौवा रम्बा लेने के लिए लुहार के पास गया और बोला-

  "लुहार लुहार तुम दो रम्बा, खोदे मटीला, बने कटोरा, भरें पनीला, धोऐं चोंच, खाएँ चिया के चिनुआ,  मटकाएँ चोंच☺️"

   लुहार कौवा की नालायकी जान गया उस ने भी कौवे से एक शर्त रखी के अगर वो भठ्ठी को जलाने के लिए कहीं से आग लेकर आए। आग लेने के लिए कौवा एक घर में गया उसने उस घर की औरत से आग के लिए बिनती की। और बोला-

"अम्मा अम्मा तुम दो आगी, मिले रम्बा, खोदे मटीला, बने कटोरा, भरें पनीला, धोऐं चोंच, खाएँ चिया के चिनुआ,  मटकाएँ चोंच☺️"

वो औरत बहुत नेकदिल थी। वो कौवे से बोली के आग तो तुम्हे मिल जाएगी पर तुम आग किस तरह लेकर जाएगा।
कौवा ने अपने घमंड में कहा के तुम आग को मेरी पीठ पर बांध दो। में इसे जल्दी से जल्दी लेकर चला जाउंगा। उस औरत ने आग का एक गोला उस कौवे की पीठ पर बांध दिया और कौवा आग लेकर उड़ने लगा। थोड़ी दूर उड़ने के बाद कौवे के पंखों को आग लग गई और वो घिसटता हुआ चिड़ी के पास जाकर गिरा और वहीँ उसकी मौत हो गई।

शिक्षा  – बुरी नियत वालों के साथ हमेशा बुरा ही होता है ।

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