Friday 20 January 2017

เคชंเคšเคคंเคค्เคฐ : เคฆो เคฌเค•เคฐे

                           पंचतंत्र

                          दो बकरे

दो बकरे थे। एक काले रंग का था एक भूरे रंग का था। एक दिन वे झरने पर बने पुल से गुजर रहे थे। काला बकरा पुल के इस छोर से और भूरा बकरा उस छोर से आ रहा था। पुल के बीचो-बीच दोनों बकरो का आमना-सामना हुआ। दोनों अकड़कर खड़े हो गए। पुल बहुत ही सँकरा था। एक बार में उस पुल पर से एक ही जानवर पुल से जा सकता था। 
काले बकरे ने भूरे बकरे से गुर्रा कर कहा, "तू मेरे रास्ते से हट जा।" भूरे बकरे ने भी इसी प्रकार गुर्रा कर जवाब दिया, "अबे कालिए, वापस चला जा, वरना मैं तुझे इस झरने में फेंक दूँगा।" 
वे दोनो थोडी देर तक एक-दूसरे को धमकाते रहे। उसके बाद दोनों एक दूसरे से भिड़ गए। फिर क्या था! दोनों अपना-अपना संतुलन खो बैठे और लड़खड़ाकर झरने मे जा गिरे। वे झरने की धारा के साथ बहने लगे। थोड़ी देर में ही दोनों डूब कर मर गए।
इसी तरह दूसरी बार दो बकरियाँ इसी पुल के बीचोबीच आमने-सामने आ गईं। वे दोनो समझदार एंव शांत मिजाज वाली थीं। उनमें से एक बकरी बैठ गई। उसने दूसरी बकरी को अपने शरीर के ऊपर से जाने दिया। उसके बाद वह खड़ी हो गई। धीरे- धीरे चल कर उसने भी पुल पार कर लिया।

शिक्षा -क्रोध दुख का मूल है, शांति खुशी की खान है

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