पंचतंत्र
सोना देने वाला पक्षी
सोने की बीट करते वाला वह पक्षी जिस जंगल में रहता था । वहां पर मानव जाति के लोगों का आना-जाना बहुत कम होता था, यही कारण था वह पक्षी लम्बे समय तक बचा रहा, परन्तु कब तक ? किसी एक व्यक्ति ने वहां से गुजरते समय सोने की बीटों को देखा, तो उसे यह समझने में देर न लगी कि अवश्य ही इस वृक्ष पर सोने की बीट करने वाला कोई पक्षी रहता है ।
उस व्यक्ति ने गांव में जाकर यह बात लोगों को बताई तो सोने का नाम सुनते ही उस गांव के शिकारी कालूराम के मुंह में पानी भर आया । उसने उसी समय अपना जाल उठाया और जंगल की ओर चल दिया । जंगल में पहुंचकर उसने सबसे पहले उस वृक्ष की तलाश की, जिसपर सोने की बीट करने वाला पक्षी रहता था ।
इस काम में उसे अधिक देर नहीं लगी । उसने दूर से चमकते सोने को देखकर यह अंदाजा लगा लिया कि यही वह वृक्ष हो सकता है, जिस पर सोने की बीट करने वाला पक्षी रहता होगा । उसने उस वृक्ष के पास पहुंचते ही अपना जाल फैला दिया । पक्षी को उस जाल में फंसते देर न लगी और शिकारी उसे पकड़कर खुशी से झूमता हुआ अपने घर ले आया ।
परिवार के लोगों ने जैसे ही सोने की बीट करने वाले पक्षी को अपने घर में देखा, तो सब के सब खुशी से नाचने लगे । उन्हें सब से अधिक खुशी तो इस बात की थी कि अब तो उनके अपने ही घर में सोना पैदा होने लगेगा । कुछ ही दिनों में वे सबसे अमीर बन जाएंगे, उनकी गरीबी दूर हो जाएगी ।
हुआ भी यही, शिकारी पहले तो जंगल से सारा सोना उठाकर ले आया, फिर धीरे-धीरे और सोना भी जमा हो गया । इतना सोना देखकर शिकारी डरने लगा, उसे इस बात का डर था कि कहीं राजा के कानों तक यह खबर पहुंच गई कि मेरे पास इतना सोना जमा है, तो वह सोने के साथ-साथ उसकी जान भी ले सकता है ।
इसी डर के कारण शिकारी ने यह फैसला किया कि वह इस सोने की बीट करने वाले पक्षी को राजा को ही दे आएगा, क्योंकि अब उसके पास तो बहुत सोना जमा हो गया था, अब और सोने का करना भी क्या है । दूसरे ही दिन वह कालूराम शिकारी, उस सोने की बीट करने वाले पक्षी को लेकर राजा के दरबार में जा पहुंचा । उसने राजा के सामने उस पक्षी को पेश करते हुए कहा:
“महाराज, यह आपके लिए है ।” ”कालू के बच्चे, तुझे शर्म नहीं आती, इस प्रकार का भद्दा पक्षी हमें भेंट करते हुए, क्या तुम इतने पागल हो गए हो, जो यह भी नहीं जानते कि राजाओं को केवल सोना-चांदी ही भेंट दिया जाता है ।” ‘महाराज! यह पक्षी सोना ही है ।’
”तुम कहीं पागल तो नहीं हो गए हो, यह काला-कलूटा पक्षी सोना है ?” ”महाराज, इसकी शक्ल मत देखो, असल में यह पक्षी सोने की बीट करता है ।” ”यह तुम क्या कह रहे हो ? क्या यह संभव है ?” ”हाँ महाराज, हाथ कंगन को आरसी क्या है, अभी थोड़ी देर में जब यह बीट करेगा तो आप अपनी आखों से देख लेना कि यह सोने की बीट करता है या नहीं ।”
थोड़ी देर के पश्चात ही उस पक्षी ने राजा के सामने ही सोने की बीट कर दी तो राजा की हैरानी की कोई सीमा न रही । वह सोच में पड़ गया कि क्या ऐसा भी संभव हो सकता है ? उसी समय राजा ने अपने मंत्रियों को बुलाया और उनसे कहा : ”देखो, यह सोने की बीट देने वाला पक्षी हमें इस शिकारी ने उपहार स्वरूप दिया है ।”
राजा की बात सुनकर महामंत्री हंसने लगे । ”मंत्रीजी, आप हंस क्यों रहे हैं ।” राजा ने उससे पूछा । ”महाराज ! मैं तो आपके भोलेपन पर हंस रहा हूं कि आपने एक शिकारी की बात पर विश्वास कर लिया ।” ”मगर इसने हमारी आखों के सामने बीट की है ।” “यदि यह बात मान ली जाए तो भी हमें एक बार सोचना पड़ेगा कि यह आदमी कौन-सी चाल चलकर हमें सोने की बीट देने वाले पक्षी को उपहार स्वरूप देने आया है । भला कौन ऐसा पागल होगा जो सोने की बीट करने वाले पक्षी को दान देने के लिए चला आएगा ?” मंत्री की बात सुनकर राजा भी सोच में पड़ गया और मंत्री की ओर देखकर बोला ।
”आप किसी हद तक ठीक ही कहते हैं, असल में मैं ही पागल हूं जो इस आदमी की बातों में आ गया । लगता है यह आदमी कोई षड्यंत्रकारी है, अब तो हमारे सामने एक ही रास्ता है कि इस पक्षी को आजाद कर दें ।” ”हाँ...हाँ महाराज…आप इस पक्षी को आजाद कर दें । न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी ।”
कालू उस मंत्री के मुँह की ओर देख रहा था, जिसने उसे संदेह की नजरों से देखा था । किसी ने सत्य ही कहा है कि गरीब के सोने को भी लोग मिट्टी ही समझते हैं । उसने तो सोचा था कि राजा सोने की बीट करने वाले पक्षी को पाकर बहुत खुश होगा ।
इसके बदले उसे इनाम देगा या अपने दरबार में नौकरी दे देगा । परन्तु-यहां तो सब कुछ उसके विचारों के विपरीत ही हो रहा था । भलाई के बदले में बुराई मिल रही थी । राजा को भड़काने वाला यह मंत्री मृर्ख ही तो है, जो राजा को यह सलाह दे रहा है कि इस पक्षी को ही मुक्त कर दिया जाए । उस बेचारे की बात सुनने वाला वहाँ कोई नहीं था । राजा तो केवल अपने मंत्रियों की ही बात सुनता था, तभी तो मैत्री कें कहने पर उस सोने की बीट देने वाले पक्षी को पिंजरे से निकाल दिया गया ।
वह पक्षी पिंजरे से निकलकर एक खिड़की पर जा बैठा और उन सबसे बोला, ”तुम सब के सब पागल हो तुम में से सबसे पहला पागल तो यह शिकारी है, जो सोना देने वाले पक्षी को राजा को भेंट करने चला आया । दूसरा पागल यह राजा है, जिसने सोना देने वाले पक्षी की बाबत मंत्री से सलाह ली । उन सबसे बड़ा पागल यह मंत्री है, जिसने सोना देने वाले पक्षी को छोड़ देने के लिए कहा ।”
सीख : - हमें सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिये एवं संपूर्ण सत्य को जानने का प्रयत्न करना चाहिये ।
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