Sunday 24 September 2017

เคชौเคฐाเคฃिเค• เค•เคฅाเคँ : เคถ्เคฐीเคฐाเคฎ เค•ी เคฌเคนเคจ เค•ी เค•เคฅा

                     पौराणिक कथाएँ

                श्रीराम की बहन की कथा

बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि राम की एक बहन भी थीं जिनका नाम शांता था। वे आयु में चारों भाइयों से काफी बड़ी थीं। उनकी माता कौशल्या थीं। उनका विवाह कालांतर में शृंग ऋषि से हुआ था।

ऐसी मान्यता है कि एक बार अंगदेश के राजा रोमपद और उनकी रानी वर्षिणी अयोध्या आए। उनके कोई संतान नहीं थी। बातचीत के दौरान राजा दशरथ को जब यह बात मालूम हुई तो उन्होंने कहा, मैं मेरी बेटी शांता आपको संतान के रूप में दूंगा।

रोमपद और वर्षिणी बहुत खुश हुए। उन्हें शांता के रूप में संतान मिल गई। उन्होंने बहुत स्नेह से उसका पालन-पोषण किया और माता-पिता के सभी कर्तव्य निभाए।

एक दिन राजा रोमपद अपनी पुत्री से बातें कर रहे थे। तब द्वार पर एक ब्राह्मण आया और उसने राजा से प्रार्थना की कि वर्षा के दिनों में वे खेतों की जुताई में शासन की ओर से मदद प्रदान करें। राजा को यह सुनाई नहीं दिया और वे पुत्री के साथ बातचीत करते रहे।

द्वार पर आए नागरिक की याचना न सुनने से ब्राह्मण को दुख हुआ और वे राजा रोमपद का राज्य छोड़कर चले गए। वे इंद्र के भक्त थे। अपने भक्त की ऐसी अनदेखी पर इंद्र देव राजा रोमपद पर क्रुद्ध हुए और उन्होंने पर्याप्त वर्षा नहीं की। अंग देश में नाम मात्र की वर्षा हुई। इससे खेतों में खड़ी फसल मुर्झाने लगी।

इस संकट की घड़ी में राजा रोमपद शृंग ऋषि के पास गए और उनसे उपाय पूछा। ऋषि ने बताया कि वे इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ करें। ऋषि ने यज्ञ किया और खेत-खलिहान पानी से भर गए। इसके बाद शृंग ऋषि का विवाह शांता से हो गया और वे सुखपूर्वक रहने लगे।

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋष्यशृंग विभण्डक तथा अप्सरा उर्वशी के पुत्र थे। विभण्डक ने इतना कठोर तप किया कि देवतागण भयभीत हो गये और उनके तप को भंग करने के लिए उर्वशि को भेजा। उर्वशी ने उन्हें मोहित कर उनके साथ संसर्ग किया जिसके फलस्वरूप ऋष्यशृंग की उत्पत्ति हुयी। ऋष्यशृंग के माथे पर एक सींग (शृंग) था अतः उनका यह नाम पड़ा।

बाद में ऋष्यशृंग ने ही दशरथ की पुत्र कामना के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया था। जिस स्थान पर उन्होंने यह यज्ञ करवाये थे वह अयोध्या से लगभग 39 कि.मी. पूर्व में था और वहाँ आज भी उनका आश्रम है और उनकी तथा उनकी पत्नी की समाधियाँ हैं।

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