पौराणिक कथाएँ
मनु और शतरूपा की कहानी
मनु और उनकी पत्नी शतरूपा से ही मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई। इन दोनों पति-पत्नी के धर्म और आचरण बहुत ही पवित्र थे। वृद्ध होने पर मनु अपने पुत्र को राज-पाठ देकर वन में चले गए। वहां जाकर मनु और शतरूपा ने कई हजार साल तक भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और वर मांगने के लिए कहा। मनु और शतरूपा ने श्रीहरि से कहा कि हमें आपके समान ही पुत्र की अभिलाषा है।
उनकी इच्छा सुनकर श्रीहरि ने कहा कि संसार में मेरे समान कोई और नहीं है। इसलिए तुम्हारी अभिलाषा पूरी करने के लिए मैं स्वयं तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लूंगा। कुछ समय बाद आप अयोध्या के राजा दशरथ के रूप में जन्म लेंगे, उसी समय मैं आपका पुत्र बनकर आपकी इच्छा पूरी करूंगा। इस प्रकार मनु और शतरूपा को दिए वरदान के कारण भगवान विष्णु को राम अवतार लेना पड़ा।
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