Friday 16 June 2017

เคชौเคฐाเคฃिเค• เค•เคฅाเคँ : เคšूเฅœाเคฎเคฃि, เคจाเคˆ เค”เคฐ เคญिเค–ाเคฐी เค•ी เค•เคนाเคจी

                   पौराणिक कहानियाँ

       चूड़ामणि, नाई और भिखारी की कहानी

अयोध्या में चूड़ामणि नामक एक क्षत्रिय रहता था। उसे धन की बहुत तंगी थी। उसने भगवान महादेवजी की बहुत समय तक आराधना की। फिर जब वह क्षीणपाप हो गया, तब महादेवजी की आज्ञा से कुबेर ने स्वप्न में दर्शन दे कर आज्ञा दी कि जो तुम आज प्रातःकाल और क्षौर कराके लाठी हाथ में लेकर घर में एकांत में छुप कर बैठोगे, तो उसी आँगन में एक भिखारी को आया हुआ देखोगे। जब तुम उसे निर्दय हो कर लाठी की प्रहारों से मारोगे तब वह सुवर्ण का कलश हो जाएगा। उससे तुम जीवनपर्यन्त सुख से रहोगे।

फिर चूड़ामणि ने वैसा ही किया और वही बात हुई उसे सुवर्ण का कलश प्राप्त हो गया। मगर वहाँ से गुजरते हुए नाई ने यह सब देख लिया। नाई सोचने लगा-- अरे, धन पाने का यही उपाय है, मैं भी ऐसा क्यों न करूँ? 
 
फिर उस दिन से नाई वैसे ही लाठी हाथ में लिए हमेशा छिप कर भिखारी के आने की राह देखता रहता था। एक दिन उसने भिखारी को पा लिया और लाठी से मार डाला।

भिखारी मर गया, वह स्वर्ण कलश में परिवर्तित नहीं हुआ । नाई अपराधी करार दिया गया । इस अपराध से उस नाई को भी राजा के पुरुषों ने मार डाला।

No comments: