Thursday 4 May 2017

เคธिเฅžी เค•เคนाเคจी : เคถेเค– เค”เคฐ เคธुเคฒเคคाเคจ

                     सूफ़ी कहानियाँ

                    शेख और सुलतान

बहुत समय पहले ऑटोमन साम्राज्य का सुल्तान इस्तांबुल के एक महान सूफी शेख के दर्शन के लिए गया. वह शेख के ज्ञान और चरित से बहुत प्रभावित हो गया और शेख के समागम में नियमित रूप से उपस्थित होने लगा.

एक दिन सुलतान ने शेख से कहा – “मुझे आपसे और आपके सत्संग से बहुत प्रीति हो गयी है. एक सुलतान के रूप में मैं आपके लिए कुछ करना चाहता हूँ. कृपा करके मुझे बताएं कि मैं आपके लिए क्या करूँ जिससे आपको प्रसन्नता हो”. – सुलतान की यह पेशकश सामने खुले पड़े खजाने के माफिक थी क्योंकि वह पृथ्वी का सबसे धनी और शक्तिशाली व्यक्ति था.

शेख ने कहा – “जी, एक चीज़ है जो आप मेरे लिए कर सकते हैं. कृपया यहाँ दोबारा नहीं आइये”.

सुलतान यह सुनकर स्तब्ध हो गया. उसने शेख से पूछा – “क्या मुझसे कोई गलती हो गयी है? मुझसे जो कुछ भी जाने-अनजाने हुआ हो मैं उसके लिए आपसे माफी मांगता हूँ.”

शेख ने उत्तर दिया – “नहीं. मुझे आपसे नहीं बल्कि अपने दरवेशों से समस्या है. आपके यहाँ आने से पहले वे केवल ईश्वर की प्रार्थना और उपासना में ही रत रहते थे. अब आपको यहाँ अपने इतने करीब पाकर उनके मन में आपको अनुग्रहीत करके आपसे अनुदान और पारितोषक पाने की इच्छा पनपने लगी है. मैंने आपको यहाँ और आने से इसलिए मना किया है क्योंकि मुझे यह लगता है कि हम अभी आत्मिक स्तर पर इतने परिपक्व नहीं हैं कि आपकी उपस्थिति से प्रभावित न हो सकें.”

सूफ़ी शेख ने कहा अपनी कमज़ोरियों को पहचानते हुए अच्छाई के मार्ग पर बढ़ने से हम अपनी कमज़ोरियों पर नियंत्रण पा सकते हैं ।

* दरवेश का मतलब घर-घर से मिले दान के आहार पर निर्भर रहनेवाला साधु ।



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